Tuesday, May 13, 2014

तोल मोल के बोल

फिर से वही सब नहीं लिखना चाहता था पर क्या करूँ मजबूर हूँ बकने को 

पिछले ५ महीने से बिलासपुर में रहते मैंने ये ऑब्सर्व किया है कि जयंती त्यौहार अब पारम्परिक अर्थ से ज्यादा शक्ति प्रदर्शन के पर्याय बन गए हैं. 
आज शाम किसी कारणवश शाम को बाहर निकलना पड़ गया फिर जो हनुमान जयंती की फजीहत देखि कि क्या कहूँ 

जब लचके मोरी कमरिया कंठी माला हिले ला जैसे गानो पे शराब पीकर हुड़दंग मचाते लफ़ूट, जो हनुमान ब्रह्मचारी और परायी स्त्री को माँ मानते हैं आज उनके त्यौहार में मैं नहीं समझता कोई समझदार लड़की बाहर निकलने का साहस करेगी।

सड़कों पर मोटर साइकल में किसी हिन्दू संगठन के युवा तलवार लहराते और जय श्री राम के नारे लगाते हुए जा रहे हैं कहीं भी पटाखे छोड़ते हुए चाहे कोई जले मरे. सच बताऊँ तो आज पहली बार किसी हिन्दू पर्व पे मुझे उस डर का एहसास हुआ जो मुहर्रम के जुलुस को देखते हुए होता है.

आखिर धर्म के नाम पे ऐसा भोंडापन क्यों ? क्यों हिन्दू हिन्दू बनकर, मुसलमान मुस्लमान बनकर और मसीही ईसाई बनकर नहीं रह सकते ? किसको दिखाने के लिए ये सब ? ईश्वर, अल्लाह, गॉड के लिए.…… वो तो प्रेम, शांति, दया, त्याग चाहता है दिखावा नहीं.

क्षमा चाहता हूँ अगर किसी की भावनाओ को ठेस पहुंची हो.

तोल मोल के बोल

धर्म के बाजार में धर्म के ठेकेदारो की दुकाने आज से ही सजने लगी है, पूछा पाछा तो ज्ञात हुआ कि कल हनुमान जयंती है। बड़े बड़े पंडाल, आसमान में झूलते झूमर, चोरी की बिजली से जगमगाते लट्टू, हलवाई के दुकान में नकली मावे से बनी इतराती मिठाइयां और बाजार में भक्तों की लम्बी लम्बी कतारें। 
पास के शर्माजी सीना तान कह रहे थे कि शुद्ध घी के ५ किलो लड्डूओं का भोग चढ़ाऊंगा अग्रवाल बाबू का भंडारा उनकी बोलती बंद कर गया

खैर अभी लोकतंत्र का त्यौहार चल रहा है, पुलिस नेताजी को सुरक्षा दे रही है और हमारी सुरक्षा जो पहले ही राम भरोसे चल रही थी अब तो ये आलम है कि शहर में डाकूराज छाया हुआ है कभी दुकानो के शटर टूटते हैं तो कभी घरों के ताले और ताज़्ज़ुब तब है जब पुलिस स्टेशन से सटी दुकानो में चोरियां होती है. पर ज्यादा आश्चर्य तब होता है जब राजनाथ जी कह जाते हैं कि छत्तीसगढ़ की जनता रमन सरकार के सुशासन को वोट देगी। लेकिन अध्यक्ष महोदय हम आम जनता को भी तो एहसास होने दीजिये कि सुशासन है भी.

हाँ लेकिन आपकी भाजपा सरकार की तारीफ में कई कसीदे भी हैं जैसे आपने पुरुषो को मस्त होने के इफरात मौके दिए हैं आज गली कूचों में शराब की दुकानो में शाम से बढ़ती भीड़ और घरो-गलियों में छलकते जाम से मुझे तो ऐसा एहसास होता है कि मुख्यमंत्रीजी साक्षात देवराज इंद्र हो तभी तो सुरापान सुलभ है.
जो ग्रामीण जमात कभी सल्फी और ताड़ी पीकर अपने आपको शर्मिंदा महसूस करती थी कम से क़म अंग्रेजी बीयर ने उनके आत्मसम्मान को पर दे दिए हैं तभी तो कालर पर ताव देकर वो भी अंग्रेजी का गुमान करने लगे हैं.
बात रही दारु पीकर हुड़दंग करने की तो वो इंद्र की सभा में देवता भी करते हैं फिर यहाँ आपकी निंदा क्यों ? हाँ बीयर पीकर अपनी जोरू को २ जड़ दिया तो क्या हो गया जब देश में बलात्कार करने वालो के भी हितैषी हैं तो आपने तो जनाब कोई गुनाह नहीं किया है. वैसे भी आप तो शायद "ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ये सब ताड़न के अधिकारी" में यकीन रखते हैं तभी तो आपका ध्यान ना शराबखोरी से टूटते परिवारों पर जाता है न ही घरेलु हिंसा पर.
लेकिन हाँ एक बात है कि जनता अपनी कमाई दारू पर उडा रही है और अपने लिवर की बलि दे रही है लेकिन आपने उनको अस्पताल तो दिए हैं क्या फर्क पड़ता है कि वहां डॉक्टर हैं या नहीं ? हैं तो इलाज करते हैं या नहीं ?

वैसे मुख्यमंत्रीजी और मोदीजी जिस खाद्य सुरक्षा पर आप इतना इतराते हैं आप जानते तो होंगे ही कि उसने छत्तीसगढ़ का बेडा गर्क कर दिया है. अमीर को आपने खनिज और उद्योग सौंप दिए और गरीब के हाथ आये ३५ किलो चावल। साहब अर्थशास्त्र और प्लेटो की रिपब्लिक में आम जनता का स्वभाव गया है और ये भी बताया है कि राजा को दूरदर्शी होना चाहिये। आज तो आपने मुफ्त का चावल पकड़ा दिया जो कोई भी भीख मांग के जुगाड़ कर सकता है और दीर्घकाल में आप उन्हें अपाहिज बना देंगे कि उनको मुफ्त के खाने की आदत हो जाए फिर क्या अगर कल को आपके भंडार सिकुड़ गये ? और आप ये भी जानते होंगे कि रोजगार की बजाय मुफ्त की रोटी देकर आप समाज में ऐसी आर्थिक विषमता पैदा कर रहे हैं जिसका खामियाजा शायद कल महानदी बेसिन को नवीन नक्सलवाद के रूप में देखना पड़े.

जागिये जनाब, काश बुद्धि के देव हनुमान आपको मुझको और हम सबको सद्बुद्धि दें
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहि हरहु कलेस बिकार

क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?

क्या मौत मज़हब देखती है जम्हूरियत की मय्यत पर सियासत करने वालों ?
कृष्ण ने तो कहा था की जब जब पृथ्वी पर धर्म का ह्रास होगा तब उसकी पुनर्स्थापना के लिए उनका अवतार होगा। और कितना ह्रास देखूं जनाब या फिर तुम झूठे और तुम्हारी गीता भी ?


अजब गजब दुनिया है जनाब ये आधुनिकता की 
रात को यहाँ प्यार होता है और सुबह तलाक