Wednesday, March 12, 2014

क्यूँ तोल मोल के बोल ?


  • अगर ईश्वर है तो भाग्य कैसे सम्भव है ? 
  • अगर सब कुछ भाग्य में लिखे अनुसार ही होता है तो फिर ईशकृपा कैसे सम्भव है ? 
  • अगर भाग्य बदल नहीं सकता तो प्रार्थना से भाग्योदय कैसे सम्भव है ? 
  • अगर भाग्य नहीं है और केवल ईश्वर का विधान चलता है तो फिर ईश्वर निष्ठुर क्यूँ है ? 
  • अगर ईश्वर प्रार्थनाओं से नहीं पिघलता तो फिर वह दयालु कैसे है ? 
  • अगर वह पिघल जाए तो क्या ईश्वर भावुक है ? 
  • अगर वह भावुक है तो क्या वह जी हुज़ूरी करने पर गुनाहो को माफ़ कर सकता है ? 
  • अगर माफ़ कर देता है तो उसमे और मुझमे क्या फर्क है ? 
  • अगर नहीं करता तो ये मंदिर ये गिरजे और ये जगराते क्यूँ है ? 
  • अगर मंदिर, गिरजे और ईश्वर ही धर्म की आत्मा है तो क्या धर्म भी फ़िज़ूल है ? 
  • अगर धर्म फ़िज़ूल है तो फिर इतना बैर इतनी हिंसा, कत्ले-आम क्यूँ है ? 

और इन धर्मो, ईश्वरों और भाग्यों के बीच आदमी का क्या अनुपात रह जाता है, सिर्फ सिफर.................